एकता का स्मारक :
२३ नवंबर को पूज्य गुरूजीने आश्रमके महात्मागण तथा गुजरात के कुछ भक्तों के साथ विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा स्टेचू ऑफ़ यूनिटी की मुलाकात की।
१८२ मीटर ऊँची यह प्रतिमा नर्मदा जिलेमें सरदार सरोवर बांधके पास विद्यमान है। यह भारत के सपूत, लोह पुरुष के नाम से जाने जाते , भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री श्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित स्मारक है।
इस मूर्ति को बनाने के लिये लोहा पूरे भारत के गाँव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया। सरदार वल्लभभाई पटेल की यह प्रतिमा देश को एकसूत्र में बांधने का सूचक है।
भारत देश में पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण विविधता और भिन्नता प्रतीत होते हुए भी एक ऐसा सूत्र है, जो की पुरे देशको एक सूत्र में बंधे रहता है। यह देखकर विदेशी लोग भी आश्चर्य करते हैं। भारत देश सतही धरातल पर विविधता के बावजूद अखंडता का सन्देश देनेवाले वेदशास्त्रो का उद्गमस्थान रहा है। यही जीवनदर्शन भारत वर्ष के ऋषि-मुनियों की अपूर्वता है। यदि समाज में, देशभर में, तथा विश्वभर में शांति की स्थापना करनी हो तो इस एकता और अखंडता के ज्ञान की उपेक्षा नहीं की जा सकती है।
यदि हम स्वयं एकता के सूत्र को देखेंगे तब ही विश्व भर में अखंडता और शांति की स्थापना के लिए निमित्त बन पाएंगे। प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी भी इस सन्देश के प्रति श्रद्धा रखते हैं। देश को एकता के सूत्र में बांधने हेतु इस स्मारक को श्री मोदीजी के द्वारा एक सुंदर पहल और प्रयास की तरह देखा जाना चाहिए।
यह स्मारक न केवल अपने लिए गर्व का विषय , किन्तु अखंडता और एकता के सन्देश का सूचक भी है। ऐसा सुन्दर कार्य निश्चित रूपसे सराहनीय है।