Spreading ‘ Love & Light’ by revealing the basic oneness of all
GITA JAYANTI @ AGRASEN DHAM
6th Nov 2019
।। यतो धर्म: ततो जय:।।
६ दिसम्बर से इंदौर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित अग्रसेन धाम (फूटी कोठी) में एक सप्ताह का २२ वां गीता जयंती समारोह का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत पूज्य गुरूजी स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने, स्वामिनी अमितानंदजी तथा वहाँ के ट्रस्टीगणों ने दीप प्रज्ज्वलन से किया। उसके बाद पूज्य गुरजी का स्वागत तथा व्यास पीठ की पूजा की गई।
पूज्य गुरूजी के प्रवचन से इस समारोह की प्रवचन श्रृंखला का आरम्भ हुआ।
पूज्य गुरूजी ने बताया की महाभारत के युद्ध के पूर्व जहाँ अर्जुनके सामने जब दो विकल्प आएं कि एक और नारायणी सेना और दूसरी और स्वयं नारायण थे। अर्जुनने नि:शस्त्र होते हुए भी नारायण को ही चुना और उनके हाथ में अपने रथकी लगाम सौंप दी। यह अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय सिद्ध हुआ। अर्जुनरथ का यह चित्र हमारे ही जीवनका प्रतीक है। हमारा जीवन एक यात्रा है, जिसमें शरीर एक रथ है और हम उनके स्वामी। इस रथ के इन्द्रियाँ रूपी घोडें है तथा सारथि हमारी बुद्धि है। जिस रथ का सारथि विवेकी होता है, उसका रथ कभी भी नहीं भटकता है। यदि अपने हृदय में इस चित्र को बिठा ले, और अपने रथ की लगाम पूरी शरणागति के साथ भगवान के हाथों में सौंप दें, तो जीवन में अवश्य कल्याण होता है। इस चित्र को हृदय में बिठाने का तात्पर्य भगवान द्वारा दिए हुए विवेकसे युक्त होकर जीवन जीना। यही धर्म है, और जहां धर्म होता है वहां निश्चित रूपसे विजय होती है।
अंत में पूज्य गुरुजीने इस समारोह के समस्त आयोजकों को तथा समस्त भक्तों को आगे के सफल कार्यक्रम के लिए शुभाशीष प्रदान कियें।